अविरल शुक्ला राष्ट्र धर्म राष्ट्र के समक्ष यदि बात आये धर्म की तो

अविरल शुक्ला राष्ट्र धर्म


राष्ट्र के समक्ष यदि बात आये धर्म की तो
देश  प्रेम  दिल  में  उभारना  जरूरी  है।


सारथी ही रथ का जो मिल जाए शत्रु से तो
रण  में   प्रथम   उसे  मारना  जरूरी  है।


देशद्रोह की हो आग, जुबां पे विदेशी राग
ऐसे  वक्षस्थलों  को  फाड़ना  जरूरी है।


भारती की आरती में शामिल न हो सके जो 
ऐसे  शीश  धड़  से  उतारना  जरूरी  है।


©️अविरल शुक्ला


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