बलराम सिंह यादव अध्यात्म व्याख्याता पूर्व प्रवक्ता बी बी एल सी इंटर कालेज

एहि महँरघुपति नाम उदारा।
अति पावन पुरान श्रुति सारा।।
मंगल भवन अमंगलहारी।
उमा सहित जेहि जपत पुरारी।।
  ।श्रीरामचरितमानस।
  इसमें अत्यन्त पवित्र,वेदपुराणों का सार,मङ्गल भवन और अमङ्गलों का नाश करने वाला प्रभुश्री रामजी का उदार नाम है जिसे भगवान शिवजी माँ पार्वतीजी के साथ जपते हैं।
।।जय सियाराम जय जय सियाराम।।
  प्रभुश्री राम का नाम अति पावन है अर्थात यह नाम पावन करने वालों को भी पावन करने वाला है और सभी नामों में श्रेष्ठ है।यथा,,
तीरथ अमित कोटि सम पावन।
नाम अखिल अघ पूग नसावन।।
राम सकल नामन्ह ते अधिका।
होउ नाथ अघ खग गन बधिका।।
 वेदों में अग्नि,सूर्य व औषधिनायक चन्द्रमा की महिमा वर्णित है।राम नाम अग्नि, सूर्य व चन्द्रमा तीनों का मूल बीज है।इसीलिए राम नाम को वेद पुराणों का सार कहा गया है।यथा,,
बन्दउँ नाम राम रघुबर को।
हेतु कृसानु भानु हिमकर को।।
बिधि हरि हर मय बेद प्रान सो।
अगुन अनूपम गुन निधान सो।।
महामंत्र जेहि जपत महेसू।
कासीं मुकुति हेतु उपदेसू।।
 भगवान शिवजी सदैव अमङ्गल वेश धारण करते हैं और श्मशान में निवास करते हैं किन्तु राम नाम निरन्तर जपने के कारण ही वे मङ्गलराशि हैं।यथा,,,
नाम प्रसाद संभु अबिनासी।
साजु अमंगल मंगल रासी।।
यहाँ भगवान शिव को पुरारी कहने का भाव यह है कि भगवान शिव ने अमङ्गल करने वाले त्रिपुरासुर का नाश करने के लिए रामनाम जप के बल का ही प्रयोग किया था।भगवान शिव ने माँ पार्वतीजी के यह पूछने पर कि आप राम नाम का निरन्तर जप क्यों करते रहते हैं तो उन्होंने राम नाम को भगवान के अन्य सभी नामों से हजार गुना अधिक कहा था।यथा,,,
तुम पुनि राम राम दिन राती।
सादर जपहु अनङ्ग आराती।।
*****************
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्रनामतत्तुल्ये राम नाम वरानने।।
  उमा सहित जेहि जपत पुरारी कहने का तात्पर्य यह है कि राम नाम का जप करना जपयज्ञ है और यज्ञ सहधर्मिणी के साथ किया जाता है अन्यथा वह अपूर्ण माना जाता है।इसीलिए भगवान शिव भी माँ आद्याशक्ति पार्वतीजी के साथ ही राम नाम जपते हैं।पुनः वे दोनों अर्धनारीश्वर हैं अतः गो0जी ने साथ में नाम जपने को लिखा।
।।जय राधा माधव जय कुञ्जबिहारी।।
।।जय गोपीजनबल्लभ जय गिरिवरधारी।।


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...