पूरनमासी माघ की, जन्मे श्री रैदास।
कलसा माँ की गोद में, काशी जी के पास।।
मानवता सन्देश दे, तोड़ा सभ पाखण्ड।
ऊंच नीच के भेद को, कर दिया खण्ड मण्ड।।
अंधविश्वास छोड़ दो, कर्म करो हमेश।
आलस को सभ त्याग दो, रैदासी सन्देश।।
चंगा मन जै होवता, रहै कठौती गंग।
रैदास कर्मशील कै, रहै सफलता संग।।
रोटी कपड़ा के बिना, रहै न कोई एक।
बेगमपुरा विचार ही, राखै सभकी टेक।।
बाणी गायी गुरुजी, देणे शुभ सन्देश।
बढ़ै जगत में प्रेम रै, मिटै सभ कष्ट क्लेश।।
जातपात के भेद पै, खूब करा प्रहार।
आपस म्ह समभाव ही, बेगमपुरा विचार।।
- भूपसिंह 'भारती'
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