गीतिका
छुपा लो सर अब अपना कहीं ये कट न जाए
जयचन्दों से हिन्दुस्तान कहीं ये बट न जाए।
तुम अपने ही घर आग लगाना अब छोड़ दो
बम ये बारुद तुम्हारे सर कहीं फट न जाए।
भीतर घात बहुतों कर लिए तुम नाकाब में
रखिये गहरी नज़र इस पे कहीं हट न जाए।
चुन - चुन कर मार दो गोली बंदूक तानकर
रहो सभी तैयार जब तक ये निपट न जाए।
फांसी दो उन सबको जो गद्दारी करते हैं
चैन से कहाँ सोना जब- तक ये सिमट न जाय।
क्यों खोते अस्तित्व लालच के चक्कर में तुम
ये वतन तेरा है भाई कसम मिट न जाए।
देख लो सीमा पर कितने वीर शहीद हुए
अपनी तो रक्षा कर कहीं दुश्मन लिपट न जाय।
बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा - बिन्दु
बाढ़ - पटना
9661065930
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