बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा - बिन्दु बाढ़ - पटना

गीतिका 


छुपा लो सर अब अपना कहीं ये कट न जाए
जयचन्दों  से  हिन्दुस्तान कहीं ये बट न जाए।


तुम अपने ही घर आग लगाना अब छोड़ दो 
बम  ये  बारुद तुम्हारे सर कहीं फट न जाए।


भीतर  घात बहुतों कर लिए तुम नाकाब में
रखिये  गहरी नज़र इस पे कहीं हट न जाए।


चुन - चुन कर मार दो गोली बंदूक तानकर
रहो  सभी तैयार जब तक ये निपट न जाए।


फांसी   दो   उन  सबको  जो  गद्दारी  करते  हैं
चैन से कहाँ सोना जब- तक ये सिमट न जाय।


क्यों  खोते अस्तित्व लालच के चक्कर में तुम
ये  वतन  तेरा  है  भाई  कसम  मिट  न  जाए।


देख   लो   सीमा  पर  कितने  वीर  शहीद  हुए
अपनी तो रक्षा कर कहीं दुश्मन लिपट न जाय।


बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा - बिन्दु
बाढ़ - पटना
9661065930


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