चंचल पाण्डेय 'चरित्र'

*••••••••••••सुप्रभातम्••••••••••*
                 *रुप घनाक्षरी छंद*
सोख लेत तम भ्रम दम्भ सब भक्तन  के|
               हृदय भक्ति के सुर सरिता उतार देत||
करें जो गुमान दैत्य सुर नर मुनि गण| 
                ग्रीष्म ऋतुराज के गुमान सब झार  देत||
सूर्य के भीषण ताप चाल महासागरों के|
                     रूप शीत चन्द्रमा के क्षण में ही गार  देत||
प्रेम से खिलाये प्रभु छिलका भी पान करें|
                      एक एक चावल पै स्वर्ग तक वार देत||
                  चंचल पाण्डेय 'चरित्र'


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