विषय -देश प्रेम
आज तिरंगा रोता है ।
जब कोई सैनिक सीमा पर, अपना शीश चढ़ाता है।
जब कोई माँ का लाल, तिरंगे मे लिपट कर सोता है।
तब शान से यह लहराता है ।
पर आज तिरंगा रोता है।
जब वीर कोई परिवार छोड,सीमा पर ठाँव बनाता है ,
तब माइन्स डिग्री पे देखो ,बिछौना बर्फ सजाता है ।
तब शान से यह लहराता है ।
पर आज तिरंगा रोता है।
सर्दी गर्मी हो धूप छाँव,बरसात या खाने के लाले,
जब कोई प्रेमी देशप्रेम पे, अपनी जान लुटाता है ।
तब शान से ये लहराता है ।
पर आज तिरंगा रोता है ।
पर जब कोई देश का वासी, देश के अन्दर सेंध लगाता है ।
जब कोई भारत का बनकर ,भारत माँ को ही सताता है ।
तब माँ का तिरंगा रोता है ।
आज तिरंगा रोता है।
जब देश द्रोह का साथी बन,वो पीठ पे वार कराता है ।
माँ का लाल फिदायिन बन,जब माँ की कोख लजाता है।
मजबूर तिरंगा रोता है ।
पर आज तिरंगा रोता है।
हिन्दु मुस्लिम के झूठे खेल,हर कौम की नाक कटाता है ।
स्वार्थ मे डूबा मानव,दानव बन,मानवता को ठुकराता है ।
ऐसे मे तिरंगा रोता है ।
आज तिरंगा रोता है ।
डा इन्दु झुनझुनवाला
👏
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें