डा.नीलम अजमेर

आज का विषय- *प्रभुता*
विधा- *मुक्त*
दिनांक-06-02-2020


  
धारण किये *प्रभुता* प्रभु की
मानव दानव बन रहा
चंद्रगुप्त की बही -लेखन का
हिसाब कर रहा


वाणी-हीनता इस कदर बढ़ने लगी
घोलकर ज़हर शब्दों से ही वार करने लगा


कलयुगी राम कभी,कभी कृष्ण बन रहा
भोले-भाले भक्त बेचारों को
ठग रहा


स्वतंत्रता और संविधान को  रख जेब में
भोली जनता को भड़का देश अपमानित कर रहा


अपने कुकर्म किसी मासूम के मत्थे मड़कर
अपने को सच्चाई का फरिश्ता बता रहा


बनकर कभी राम ,हाथ में अपने कानून लेकर
नाम की आड़ में हवस का अड्डा चला रहा


ओढ़ चुनरिया रामनामी,
नाम रामरहीम का
भक्तजन की भक्ति का मज़ाक उड़ा रहा


        डा.नीलम


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