इश्क़
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उन्हें इश्क़
था वतन से
शहीद हो गए
सूखा नहीं है
पानी पानी आँख का
जिनके लाल सरहद पर
शहीद हो गए,
रुकेंगे कैसे अश्रु
जिस घर के लाल थे वे
सूना है उनका आँगन
जहाँ खेले-बढ़े थे वे,
सुदृढ़ आधार हैं सैनिक
तभी देश हँसता है
सरहद पर जागते हैं
देश तब चैन से सोता है,
शत-शत नमन है इनको
बारंबार नमन है इनको
जो लौट के घर न आए
जो तैनात है सरहद पर....!!!!
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डा० भारती वर्मा बौड़ाई
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