शिव स्तुति
हे देवों के देव महादेव मम कष्ट हरो मम कष्ट हरो। मस्तक पर है चंद्र विराजे। कण्ठ में है सर्पों की माला पिये हैं भंग का प्याला नंदी बृषभ करे सवारी प्रभु जगत के हितकारी मम कष्ट हरो ,मम कष्ट हरो। भांँग, धतूरा सेवन करते। बिल्वपत्र ,चंदन प्रिय लगते। जटा में बहती सुरसरि धारा। बाघम्बर ,भस्मीधारी सकल जगत के हितकारी प्रभु मम कष्ट हरो............. विष का घट पीने वाले। नीलकंठ कहलाए तुम। काल भैरव का दर्शन देकर। अकाल मृत्यु हरने वाले कुअंक भाल के मेटनहारी सकल जगत के हितकारी प्रभु मम कष्ट हरो,............. पंचाक्षर का जप भक्त करें। षडानन , गजानन सुत दोऊ प्यारे शैल सुता हैं प्राणों से प्यारी प्रभु जगत के हितकारी मम कष्ट हरो ................. त्रिशूल और डमरू लेकर। तांडव तुम करने वाले अरि दल विनाशकारी। हे मन्मथ नाथ पुरारी प्रभु जगत के हितकारी मम कष्ट हरो ........................... द्वादश लिंगों का अर्चन करके। भक्ति ,मुक्ति पा जाते जन भूत प्रेत संग में डोले। नैया पार लगा दो भोलेभंडारी प्रभु जगत के हितकारी। मम कष्ट हरो ,ममकष्ट हरो डा०सुशीला सिंह
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