🍏🌻 *प्रकाश* 🌻🍏
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[ गीतिका ]
ब्रह्म हूँ, ब्रह्माण्ड हूँ मैं,
तत्व हूँ, आकाश हूँ।
सूर्य हूँ मैं, चन्द्र भी हूँ,
भव्य - दिव्य प्रकाश हूँ।
क्षय तमस के हेतु मेरा,
तय सतत सत्कर्म है,
ज्ञान का भंडार व्यापक,
बुद्धि का विन्यास हूँ।
अंतहीन, अनंत हूँ मैं,
सत्य अटल विशेष भी,
हूँ बटोरे शक्ति महती,
अंधकार विनाश हूँ।
मैं पुजारी हूँ समय का,
सेव्य हूँ साक्षात मैं,
सृष्टि का मधुमास भी हूँ,
मैं नहीं खग्रास हूँ।
शारदा हूँ मैं, विशद हूँ,
वर्त - भूत - भविष्य भी,
लोक-जग-त्रयलोक का मैं,
देव हूँ, इतिहास हूँ।
बहिर्अंतर्वास मैं हूँ,
ज्ञान हूँ, विज्ञान मैं,
चक्षु हूँ अंतर्विवेकी,
खोलिए आभास हूँ।
ओ3म् मैं हूँ, व्योम मैं हूँ,
व्याप्त हूँ सर्वत्र मैं,
आस हूँ, विश्वास मैं,
शाश्वत-सतत उल्लास हूँ।
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*● डाॅ शेषपालसिंह 'शेष'*
'वाग्धाम'-11डी/ई-36डी,
बालाजीनगर कालोनी,
टुण्डला रोड,आगरा-282006
मोबाइल नं0 -- 9411839862
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