..................... हमें तो ..........................
कोई साथ न दे , हमें तो चलने की आदत है।
परेशानी जो हो , हमें तो जलने की आदत है।।
मुश्किलेंआती रहती हैं यूं तो जिंदगी की राहों में;
मुश्किलों में ही , हमें तो पलने की आदत है।।
कांटे हजार बिखेरे हैं राह में हमारे रकीबों ने ;
कांटों से बचकर,हमें तो निकलने की आदत है।।
अपने ही जब बेगाने जैसे हो जाया करते ;
ऐसों को छोड़कर,हमें तो बहलने की आदत है।।
जितनी भी गर्मी हो या जितनी भी सर्दी ;
हर मौसम में ही , हमें तो टहलने की आदत है।।
चाहे जितनी ठोकरें मिल जाए इन राहों में ;
हर ठोकरों से , हमें तो संभलने की आदत है।।
उम्र के आखरी दहलीज पर खड़े हैं "आनंद" ;
खुशी मिल जाए, हमें तो मचलने की आदत है।।
------------------- देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"
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