देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"
आया बसंत...........
आया बसंत , आया बसंत ।
सबका मन हर्षाया बसंत।।
फसल समय पर पकाकर ;
कृषक को हुल्साया बसंत।।
सभी ऋतुओं के राजा ने ;
खुशी फैलाया दिक-दिगंत।।
जलाशयों में कमल खिलकर;
बिखेरे अपनी आभा अनंत।।
पक्षियों के कलरव से सर्वत्र;
वातावरण गूंजते अत्यंत।।
देश का मौसम हो ऐसा ;
न रहे कोई मुद्दा ज्वलंत।।
हर ओर आनंद ही"आनंद";
बात नहीं है यह मनगढ़ंत।।
- देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें