...............सरगोशिआं भी अब तो...............
सरगोशिआं भी अब तो कमाल कर रही है।
आज के माहौल में ये धमाल कर रही है।।
जमाने चले गए हैं अब सही रास्ते चलने के;
गलत रास्ते से सफलता बेमिसाल मिल रही है।।
सही रास्ते से तो आजकल मिलते हैं थपेड़े ;
सही लोगों को अब समाज बेहाल कर रही है।।
उलट गए हैं आजकल दुनियां के सारे तरीके;
परिस्थितियां सज्जनों को पाहमाल कर रही है।।
किसे दोष दें हम इन परेशानियों के लिए ;
परेशानियां ही अब हमसे सवाल कर रही है।।
हम तो चले थे राह में अच्छे इरादे से मगर ;
सरगोशिआं ही हमारा बुरा हाल कर रही है।।
फिर कुछ तो उम्मीद बचा रखी हमने"आनंद" ;
कमसेकम उम्मीद तो इस्तकबाल कर रही है।।
----------------- देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी"
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