................पिता जन्मदाता है..................
माता जन्मदायिनी है तो पिता जन्मदाता है।
दोनों के योग से ही संतान जन्म पाता है।।
माता नौ महीने पेट में बच्चे को पालती है;
पिता भरन - पोषण की उम्मीद जगाता है।।
खुद कितने ही मुसीबतों से घिरे रहें पर ;
संतान की कोई तकलीफ़ सह नहीं पाता है।।
जरूरत हो तो खुद आधा पेट खाएं पर ;
संतान को सर्वोत्तम भोजन खिलाता है।।
खुद अनपढ़ या कम पढ़े - लिखे क्यों न रहें;
बच्चों को ऊंची से ऊंची तालीम दिलाता है।।
जीवन भर जिन मुश्किलों से परेशान रहे;
संतान को उन मुश्किलों से हमेशा बचाता है।।
माता - पिता दोनों ही बराबर हैं "आनंद" ;
उत्तम संतान ही दोनों का कर्ज चुकाता है।।
--------------- देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी"
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