देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी" .तन्हाई में कारवां.

देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"


.तन्हाई में कारवां.............


तन्हाई  में कारवां , बढ़  नहीं  पाता ।
प्यार भी  परवान , चढ़  नहीं  पाता।।


एक  दूसरे  से  सरोकार  न   हो  तो ;
सुन्दर   समाज   गढ़    नहीं   पाता।।


सूत   जितने  भी  सुंदर  क्यों  न  हो ;
कढ़ाई  न आए तो  कढ़ नहीं  पाता।।


अकेले  तो कोई  रास्ता  तय  कर ले ;
साथ न  हो तो देश  बढ़ नहीं  पाता।।


यादगार  चित्र सदा  रखें सहेज  कर;
कारीगर ठीक न  हो,मढ़ नहीं पाता।।


मन में  लगन न  हो यदि तो कोई भी;
सफलता की ऊंचाई,चढ़ नहीं पाता।।


हमारी तो कोशिश यही रहती"आनंद"
उसे जरूर पढ़ाए जो पढ़ नहीं पाता।।


------ देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"


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