देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"

...........तन्हाइयों के शहर में.............


तन्हाइयों के शहर में दोस्त नहीं मिलते।
स्वार्थियों केशहर में दोस्त नहीं मिलते।।


हर शहर है आततायिओ के गिरफ्त में ;
इनलोगो केशहर में दोस्त नहीं मिलते।।


जिधर देखें,एहसान फरामोश पटे पड़े ;
ऐसों के शहर  में  दोस्त  नहीं  मिलते।।


हर शहर में गद्दारों का ही है बोलबाला;
गद्दारों के शहर  में दोस्त  नहीं मिलते।।


आए दिन दगाबाजी  से रहते  हैं  त्रस्त ;
दगाबाजों केशहर में दोस्त नहीं मिलते।


हर तरफ कमिनापनी में आपाधापी है ;
कमीनों के शहर में दोस्त नहीं मिलते।।


अब तो उठा ले ऊपरवाले ऐ "आनंद" ;
बेईमानों के शहर में दोस्त नहीं मिलते।


------- देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"


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