...............मेरे ख़्वाबों में..............
मेरे ख़्वाबों में बस तुम ही तुम हो।
मेरे ख्यालों में बस तुम ही तुम हो।।
यूं तो दुनियां में रिश्तों की कमी नहीं;
पर तसव्वुरों में बस तुम ही तुम हो।।
राह- ए- जिंदगी में,मिले,बिछुड गए;
मेरी नज़रों में बस तुम ही तुम हो।।
तेरी इन अदाओं का कद्रदान हूं मैं ;
मेरी दुआओं में बस तुम ही तुम हो।।
ये नहीं,मुहब्बत की जुबां नहीं होती;
मेरी जुबानों में बस तुम ही तुम हो।।
दिल कीधड़कन से कुछ निकले गर;
हर धड़कनों में बस तुम ही तुम हो।।
सब छोड़ कब निकल जाता"आनंद"
मेरी सांसों में बस तुम ही तुम हो।।
----- देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"
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