देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"

........... कह नहीं पाऊंगा...........


क्यों हुई थी दूरी,कह नहीं पाऊंगा ?
क्या थी मज़बूरी,कह नहीं पाऊंगा?


कोशिशें की  हमने बहुत  ही मगर ;
क्यों न मिटी दूरी,कह नहीं पाऊंगा?


आग लगाना तो सभी जानते ही हैं;
बुझाई क्यों नहीं,कह नहीं पाऊंगा?


दूसरे की खुशी सबको खटकती है;
दूसरे जलते क्यों,कह नहीं पाऊंगा?


लाख बुरा चाहते हैं कोई भी मगर ;
क्या है  फायदा,कह नहीं पाऊंगा ?


कोई न कोई तो मिलता है हमदर्द ;
कितना  सुकून,कह नहीं पाऊंगा ?


हम तो यही सोचा करते"आनंद" ;
कैसे मिले कोई,कह नहीं पाऊंगा?


-- देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...