...........जाने क्या चुपके से...........
जाने क्या चुपके से आपने कह दिया।
आपने कह दिया वो मैंने सह लिया।।
आपने मुझे तो दिल से निकाल फेंका;
एक कोने में आपके मैंने रह लिया।।
बेतरतीब सी हो गई थी जिन्दगी मेरी ;
किसी हाल में जिंदगी मैंने गह लिया।।
न किसी का साथ,न ही कोई भरोसा ;
जैसे बहाया वक़्त ने,मैंने बह लिया।।
दिल के मारे हम बेचारे हैं प्यारे दोस्त;
मन के अंदर गुस्से को मैंने दह लिया।
हमेशा आपसे सुलह की कोशिश में ;
आपने जो कह दिया मैंने वह किया।।
उम्मीद तो है कभी तो मिलेंगे"आनंद";
इसलिए ख्यालों को मैंने तह किया।।
----- देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी"
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