देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"

.............तन्हा तन्हा था.............


आपके आने तक , तन्हा तन्हा था।
जिंदगी  थी , पर  तन्हा  तन्हा था।।


जुस्तजू थी , राह में  हमसफ़र की ;
खुशी  थी ,  पर  तन्हा  तन्हा  था।।


यूं तो ऐशोआराम की कमी न थी ;
व्यस्तता थी, पर तन्हा तन्हा  था।।


थे रिश्तेदार  बहुत  से  दुनिया  में;
गहमागहमी थी,पर तंहा तंहाथा।।


हर शाम यारों के साथ कटती थी;
दोस्ती था , पर  तन्हा  तन्हा  था।।


तांता  लगा  रहता था  लोगों  का;
कमी नहीं थी,पर तन्हा तन्हा था।।


जिंदगी की सुबह अब हुई"आनंद"
गुजरती रही,पर तन्हा  तन्हा था।।


-- देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"


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