----------------महाशिवरात्रि----------------
ओ भोलेबाबा कब से करूँ मैं इंतज़ार।
तुझसे मिलने को मेरा मन है बेकरार।।
अवढरदानी कहाते , भांग पीते-पिलाते ;
शिव-पार्वती गीत गाते , चलते व्रती धार।।
काशीनाथ,सोमनाथ,वैद्यनाथ,ज्येष्ठगौरनाथ;
रुद्राभिषेक की सर्वत्र , परम्परा है अपार।।
भँवर में फंसा है सब , अज्ञान बनकर ;
अब तो लगा दे सबका , तू ही बेड़ापार।।
ढूंढे "आनंद" अपनी , मन की गहराई में;
अब तो मिला दे इससे , तू ही बारम्बार।।
-------------देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी"
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