"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।"
सादर धन्यवाद।
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डॉ जितेन्द्र ग़ाज़ीपुरी
लहू का रंग सिर्फ़ लाल होता है इसलिए चाहे कोई भी नस्ल हो कोई भी जाति हो कोई भी मज़हब हो इसका बहना जीवन से ऊर्जा का क्षय हो जाना है जीवन को संचित करना है तो लहूलुहान न करें मानवता का जनपथ डॉ जितेन्द्र ग़ाज़ीपुरी
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