*वो मेरा है*
वो प्यार की हर हद से
गुजरता है
मेरी हर स्वास में उतर, दिल में धड़कता है
आँख के पानी में मीन सा तड़पता है
लबों पे रुकी हुई कोई बात सा थिरकता है
थाम कर मेरे ख्वाबों का दामन मुझमें जागता है
कारी बदरी- सा,मेरे काँधे पे ठहरता है
तनहाई में साए-सा मुझसे लिपट-लिपट जाता है
हवाओं -सा मेरे इर्द-गिर्द मंडराता है
वो मेरा अक्श है *नील* मुझमें ही समाया है
वो है रुह मेरी, वही मेरा सरमाया है।
डा.नीलम
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