डॉ प्रतिभा कुमारी'पराशर'     हाजीपुर बिहार

गीतिका


गली - गली में यही कहानी ।
कहीं नहीं है सही नहानी।।


जलाशयों में कहीं न पानी 
सड़ी पड़ी है कहीं निशानी ।


नहीं सुनो अब गलत बयानी 
वही सुनी जो रही पुरानी ।


नहीं सुनेगा कभी जमाना 
किसे सुनाऊँ वही कहानी ।


धरा रही है सजी सुहानी
चली हवा तो बही रवानी ‌


       डॉ प्रतिभा कुमारी'पराशर'
    हाजीपुर बिहार


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...