गीतिका
गली - गली में यही कहानी ।
कहीं नहीं है सही नहानी।।
जलाशयों में कहीं न पानी
सड़ी पड़ी है कहीं निशानी ।
नहीं सुनो अब गलत बयानी
वही सुनी जो रही पुरानी ।
नहीं सुनेगा कभी जमाना
किसे सुनाऊँ वही कहानी ।
धरा रही है सजी सुहानी
चली हवा तो बही रवानी
डॉ प्रतिभा कुमारी'पराशर'
हाजीपुर बिहार
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