जल जीवन हरियाली
एक गीत
16,11
जल से ही जीवन संभव है ,जीवन से संसार ।
हरियाली से इस धरती का , होता है शृंगार ।।
पंचतत्व में एक नीर है , बिल्कुल सत्य सुजान ।
इसके बिन जीवन - सागर तो ,भरता नहीं उफान ।।
जीवन रहे सुरक्षित सबका , करिये सोच विचार ।
हरियाली से.......
चलो बचाएँ हरियाली को ,पेड़ लगाएँ चार ।
इनसे मिलती है औषधियाँ , होता है उपचार ।।
अंत समय में लकड़ी ही तो , जोड़े सब परिवार ।
हरियाली से........।।
जल से धरती उर्वर होती , होता गेहूँ - धान ।
साग-पात के जैसे शोभे ,धरती का परिधान ।।
मिल जुलकर सब इसे बचाएँ ,जल जग का आधार ।
हरियाली से इस ......
पेड़ नहीं होंगे तो सोचो , कैसे लेंगे साँस ।
जलविहीन हो जाय धरती , नहीं बुझेगी प्यास ।।
फल- फूलों से भरी टोकरी , देंगे हम उपहार ।
हरियाली से ......
डॉ प्रतिभा कुमारी'पराशर'
हाजीपुर बिहार
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें