स्वतंत्र रचना
दिनांक: २४.०२.२०२०
वार: सोमवार
विषय: आराधना
विधा: गीत
शीर्षक: 🌹आराधना मां भारती 🌹
आराधना नित साधना सुंदर सुभग मां भारती,
स्वप्राण दे सम्मान व रक्षण करें बन सारथी।
समरथ बने चहुंओर से जयगान गुंजित यह धरा,
हो श्यामला कुसमित फलित नित अन्नदा भू उर्वरा।
आराधना नित साधना ....
जीवन वतन बन शान हम अरमान हैं नित राष्ट्र के,
उत्थान हो विज्ञान का अनुसंधान नव कृषि भारती।
शिक्षा सदा सब जन सुलभ नैतिक सबल मानव बने,
समरस सुखी अस्मित मुखी प्रमुदित करें मां आरती।
आराधना नित साधना ....
निर्भेद नित समाज हो बिन जाति धर्म भाषा विविध,
चलें प्रीति सब सद्नीति पथ संकल्प दृढ़ संकल्पना।
सीमा सतत् रक्षण यतन तन मन समर्पित हो वतन,
रूहें कंपे द्रोही वतन आतंक पाप खल नर वासना।
आराधना नित साधना ....
दुर्गा समा निर्भय सबल महाशक्ति बन विकराल हो,
नारी सतत बहुरूपिणी जगदम्ब वधू भगिनी सुता।
सम्पूज्य नित आराध्य जग चिर देव दानव मनुज हो,
कोमल हृदय भावुक प्रकृति ममता मनोहर भाषिता।
आराधना नित साधना ....
न दीन हो बलहीन जग सब शिक्षित सबल सुख सम्पदा
निर्भीत मन निज कर्म रथ चल निज ध्येय पथ पर बढ़े।
मर्यादित विनत सदाचार युत संस्कार शुचि जीवन बने।
श्रवण चिन्तन मनन भावन वाणी प्रकटिता स्नेहिल प्रदा।
आराधना नित साधना ....
धारा बहे अविरल वतन नित सद्भाव समरस निर्मला,
हो नाश सब विभ्रान्त जन विद्वेष लालची मन बावला।
जीवन बने भारत उदय सद्भक्तिमय लक्ष्य स्नेहिल सर्वदा,
आएं मिलें जन-गण-वतन पूजन करें आराधना मां भारती।।
आराधना नित साधना ....
जनतंत्र हो गुंजित जगत जय मां भारती जयगान से।
मानक बने सौहार्द का नीति सबल सुख सम्पदा उत्थान से।
शक्ति भक्ति युक्तिपथ सह विवेक परहित बने जन चिन्तना,
सत्य शिव सुन्दर मनोरम तिरंगा वतन मां भारती आराधना।
आराधना नित साधना ....
डॉ.राम कुमार झा "निकुंज"
रचना: मौलिक (स्वरचित)
नई दिल्ली
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