डॉ. रामकुमार चतुर्वेदी

राम बाण🏹
शौर्य काल  की  गाथा सुन, आँखें  है भर आई।
मिला नहीं सिर सैनिक का, रोती घर पर माई।।


दाल  पकेगी  कैसे  अब,  सठ साली  हैं रोते।
शोक  मनाने  निकले  सब,  मौसेरे हर  भाई।।


मुल्ला  काजी  क्रोध  करें,   देते  धर्म सफाई।
तीन तलाक  की  कोर्ट  में,  होती  है सुनवाई।।


योग  कराते  बाबा जी,  बन  बैठे  कब योगी।
भ्रष्ट  मुक्त हो  भारत  की,  कैसे  बने  दवाई।।


मजनूँओं  की  खैर  नहीं, सहमे सहमे रहते।
पत्थर  फेंके  कश्मीरी,       देते  हमें दुहाई।।


खुल्लम  खुल्ला  खुल्लू ,   डेंगू  रोक  रहे थे।
आड ईवन आड़ में,कर दी खूब सफाई।।


स्याही दाग छुड़ाये तो , फिर चांटा मिल जाता।
लोकपाल  सहलाने को,   आ जाते  भजपाई।।


अनशनधारी अनशन करते, सैर करेंगे मोदी।
बूचड़खाने  बंद  हुए,       अब्बू  लेंगे  गोदी।।


राम बाण सह न सको तो,बाम लगाना प्यारे।
हम  चुटीले  तंज देते,    करते   राम  भलाई।।
                       डॉ. रामकुमार चतुर्वेदी


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