घर का प्रणाम ,परिवार का प्रणाम तुम्हे,
गांव,गली ,खेत,खलिहान,का प्रणाम है ।
राह में रुके नही,और फर्ज से भी डिगे नही ,
मरते हुए भी किया ध्वज को प्रणाम है ।
हौसले बुलन्द है ,शहादत के नाम आज,
रक्त वही धन्य आये देश के जो काम है ।
मातृ भू की आबरू में आँच नही आई जरा,
शौर्य के प्रतीक सारे राष्ट्र का प्रणाम है ।।
डॉ शिव शरण "अमल "
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