किसको दोष दुँ मैं दिल्ली में हुए बवाल के लिए,
पत्थर से शहीद हुए अभागी माँ के लाल के लिए।
बोलो क्यों बाँध रखें हैं हाथ इन पुलिस वालों के,
कब तक मरेंगे बेचारे चँद वोटों के सवाल के लिए।
ठोकने दो बिना धर्म देखे इन दंगाइयों को एक बार,
वरना तुम दोषी ठहराए जाओगे इस हाल के लिए।
आज वोटों के लिए सुलगने दे रहे हो तुम देश को,
भूल गए कुर्सी सौंपी थी तुम्हें बस संभाल के लिए।
जो देश द्रोही नाग फन उठाये उसे कुचल दो तुम,
मत इस्तेमाल करो उनको कुर्सी की ढ़ाल के लिए।
कहने वालों की चिंता मत करो, वो कहते ही रहेंगे,
हाथी जाना जाता है अपनी मदमस्त चाल के लिए।
"सुलक्षणा" की मानकर कर जाओ तुम कुछ ऐसा,
इतिहास में जाने जाओ दंगाइयों के काल के लिए।
©® डॉ सुलक्षणा
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