डॉ0 धारा बल्लभ पाण्डेय, अध्यापक एवं लेखक, कर्नाटक पुरम, मकेड़ी, अल्मोड़ा,

⭐हम भारतीय⭐
युद्ध नहीं है धर्म हमारा,
 हम तो शांति पुजारी हैं।
छेड़ा अगर किसी ने तो, हम नहीं छोड़ने वाले हैं।।


चिंगारी को छेड़ोगे तो,
बन अंगार मिटा देंगे। 
यदि हम से टकरावोगे तो,
चूर-चूर कर डालेंगे।।


अरे दुष्ट! तेरी यह हरकत,
कभी सफल नहीं होगी।
तेरी सारी गीदड़ हरकत,
डर डर कर थर्राएगी।।


चौदह फरवरी को धोखे से,
चालिस वीर शहीद हुए।
पुलवामा की इस घटना को,
सुनकर सभी स्तब्ध हुए।।


नहीं भुला हम हैं सकते
दुश्मन की इस बर्बरता को।
 दिया जवाब मिटा आतंकी,
ध्वस्थ किया रिपु के गढ़ को।।


बलुवाकोट का किला और,
भी कई ठिकाने मिटा दिये।
कुर्बानी के बदले तेरे-
किले जहन्नुम बना दिये।।


मिराज दो हजार ने जब, 
घमंडी आका भस्म किये।
बम बरसाकर आतंकी के,
कई ठिकाने ध्वस्त किए।।


बारह मिराज ने इक्कीस मिनट में 
सौवों  आतंकी किए खलाश।
अगर नहीं फिर भी सुधरा तो,
तेरी जमीं गिरेंगी लाश।।


सांप पालकर दूध पिलाया,
देख लिया अब इनको भी।
इसी देश में पलकर जो,
पत्थर फेंकें बन आतंकी।।


अभी हिसाब बहुत बाकी है,
हाफिज सईद अजहर मसूद।
आतंकी नेता छिपे हुए,
करना इनको भी जमींदोज।।


अभिनंदन ने सूझ शौर्य से,
किया ध्वस्थ तेरा विमान।
छक्के छुड़ा दिए  सब तेरे,
मार भगाये और विमान।।


सीमा पार उतर अंदर घुस,
जो दहाड़ कर गरजा था।
होश उड़ा गीदड़ दल के वह, ‌
अपने घर लौट आया था।।


अभिनंदन, अभिनंदन का,
अभिनंदन तेरे गौरव का।
उन वीर शहीदों का भी है,
अभिनंदन नमन पराक्रम का।


जय भारत जय भारत धरती,
जय सेना जल, नभ, थल की।
हे मातृभूमि तेरी जय जय,
जय जय राष्ट्र तिरंगे की।।


स्वरचित कविता-
डॉ0 धारा बल्लभ पाण्डेय,
अध्यापक एवं लेखक,
कर्नाटक पुरम, मकेड़ी, अल्मोड़ा, पिन-263601,
उत्तराखंड।
मोबाइल नं- 9410700432


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