एस के कपूर "श्री हंस" 6   पुष्कर एनक्लेव स्टेडियम रोड बरेली

क्या  है
यह जिन्दगी।


विधा । मुक्तक माला


1,,,,
 हर कदम गर्व है जिन्दगी।।
।।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।


हर  पल हर  कदम जैसे,
संघर्ष है  ये जिन्दगी।


कभी दुःख का  साया तो,
कभी हर्ष है जिन्दगी।।


धैर्य  से  तो  दर्द  भी  बन, 
जाता है  मानो  दवा।


जीतें हैं जो इस अंदाज़ से,
तो गर्व है ये जिन्दगी।।
2,,,,,
 जो याद रहे वह कहानी बनो।।
।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।।।।


बस   अपना  ही  अपना  नहीं
किसी और पर मेहरबानी बनो।


चले जो   साथ हर  किसी  के 
तुम ऐसी  कोई   रवानी  बनो।।


जीवन  तो  है  हर  पल   कुछ
नया  कर  दिखाने   का  नाम।


कोई भूल बिसरा  किस्सा नहीं
जो याद रहे  वो कहानी  बनो।।
3,,,,,,,
 सब ही एक जैसे इन्सान हैं।
।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।


सब की एक ही   तो  धरती
एक सा आसमान है।


शिरायों में  लिये  लाल  लहू
एक  जैसा  इंसान है।।


जब देखोगे प्रेम की नज़र से
हर  इक   इंसान  को।


सब में  दिखाई देगा   तुमको
ऊपरवाला भगवान है।।
4,,,,,
कुछ नाम रोशन करो दुनिया में।।
।।।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।


एक दिन तुम   कोई    बीता
हुआ  इतिहास बन जायोगे।


भूतकाल  गुम होकर तुम भी
बे  हिसाब    बन    जायोगे।।


यदि जिया जीवन स्नेह  प्रेम
सहयोग  और    मिलन   से।


बनोगे सबके  प्रिय तुम और
आदमी खास   बन जायोगे।।


5,,,,,,
 खुशियों से भरा जहान है
जिंदगी।।।।।मुक्तक।।।।


खुशियों  से   भरा  एक
पूरा जहान  है  जिंदगी।


प्रभु  से   मिला  तोहफा
बहुत महान  है  जिंदगी।।


मुश्किलों से  मत  घबरा
यही   बात   कहती   है।


जीना तो तुम  शुरू करो
बहुत आसान है जिंदगी।।
6,,,,,,
।।।आंतरिक शक्ति।।।।।।।। 
।।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।।।
मत  आंकों     किसी  को    कम ,
कि सबमें कुछ बात होती है।


भीतर छिपी प्रतिभा कीअनमोल,
  सी    सौगात     होती   है।।


जरुरत है तो  बस उसे पहचानने,
और फिर निखारने  की।


तराशने  के बाद  ही  तो  हीरे से,
मुलाकात    होती     है।।
7,,,,,,,,,
।। सफलता का सम्मान।।।।।।।।।।।।।।।।
।।।।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।


नसीबों  का   पिटारा   यूँ    ही
कभी खुलता नहीं है।


सफलता का सम्मान जीवन में
 यूँ ही घुलता नहीं है।।


बस कर्म  ही लिखता है  हाथ
की   लकीरें  हमारी ।


ऊँचा  हुऐ बिना  आसमाँ  भी
कभी झुकता नहीं है।।
8,,,,,
सत्य कभी मरता नहीं है।।।।
।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।।


सच  कभी    मरता    नहीं
हमेशा  महफूज़   होता है।


ढेर में दब कर  भी जैसे ये 
चिंगारी और फूस होता है।।


लाख छुपा ले कोई उसको
काल  कोठरी   के  भीतर।


सात  परदों के पीछे से भी
जिंदा   महसूस   होता  है।।
9,,,,,,,,,,,,
सत्य कभी मरता नहीं है।।।।
।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।।


सच  कभी    मरता    नहीं
हमेशा  महफूज़   होता है।


ढेर में दब कर  भी जैसे ये 
चिंगारी और फूस होता है।।


लाख छुपा ले कोई उसको
काल  कोठरी   के  भीतर।


सात  परदों के पीछे से भी
जिंदा   महसूस   होता  है।।
10,,,,,,,,,
दिया एक रोशनी का जला कर तो
देखो।।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।


बनो  तुम  उजाला  अंधेरों  को
तुम जरा    चुरा  कर देखो।


जरा   दिल  साफ  कर  दीवार
नफरत की गिरा कर देखो।।


लगा कर   तो  देखो   तुम  भी
कोई   एक  प्रेम  का पौधा।


बहुत सुकून मिलेगा दिया एक
प्रेम का जला कर तो देखो।।


रचयिता।।एस के कपूर श्री हंस
बरेली
मोबाइल*         9897071046
                    8218685464


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...