*दिया बनो,दियासलाई नहीं*
*मुक्तक*
कुछ लोगों का काम ही है
दुर्भावना में जलते रहना।
दूसरों को संताप देकर
स्वयं ही मचलते रहना।।
घृणा को पालना पोसना
अधिकार बनता उनका।
किसी और को उठाना नहीं
नर्क में स्वयं भी ढलते रहना।।
*रचयिता।एस के कपूर श्री हंस*
*बरेली।*
मो 9897071046
8218685464
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