*मशीन सा भावना शून्य*
*हो गया है आदमी।मुक्तक*
अपनेपन से हम अब दूर
अनजान हो गए हैं।
अहम से भरेअब खुद हम
भगवान हो गए हैं।।
एक चलती फिरती मशीन
से बन गये हैं हम।
आज हम भावना शून्य
बेजुबान हो गए हैं।।
*रचयिता।एस के कपूर श्री*
*हंस।बरेली।*
मो 9897071046
8218685464
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