*कलयुग नहीं कल का युग हो।*
*मुक्तक*
मिल कर बनायें संसार जिसमें
बस अमनों सुख हो।
बसे ऐसा भाई चारा कि नहीं
कहीं कोई दुःख हो।।
भाषा संस्कार ओ संस्कृति सब
कुछ सुरक्षित रहे।
दुनिया न कहलाये कलयुग
हो तो कल का युग हो।
*रचयिता।एस के कपूर श्री हंस*
*बरेली*
मोबाइल 9897071046
8218685464
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