एस के कपूर*  *श्री हंस।बरेली*

*यकीन पर यकीन नहीं रहा*
*अब।मुक्तक।*


सच से   दूर हर  बात  में
नई   सजावट आ गई है।


रिश्तों में  कुछ नकली सी
अब    बनावट आ  गई है।।


मन भेद  मति  भेद  आज
बस    गये हैं  भीतर तक।


कैसे करें यकीं कि  यकीन
में भी मिलावट आ  गई है।।


*रचयिता।एस के कपूर श्री* 
*हंस।बरेली।*
मोबाइल। 9897071046
              8218685464


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...