एस के कपूर श्री* *हंस।।।।।।।बरेली

*विषय।।।।।।पिता।।।।।।।।।*
*।।।।।।।।मुक्तक माला।।।।।*


माँ ममता की मूरत तो पिता
अनुशासन की डोर है।


दोनों के स्नेह  प्रेम  का नहीं
कोई   ओर   छोर  है।।


माँ करती पालन पोषण और
पिता    धन   अर्जित।


माँ देती  चाँद  सी   शीतलता
पिता सूरज की भोर है।।


 


माँ प्रेम  की  वर्षा  तो  पिता
संकट करे   जज्ब  है।


बिगड़ ना जाये  बच्चा पिता
बनता कठोर  लफ्ज़ है।।


सिर पर   ममता  का   स्पर्श
और पिता  का   साया।


यूँ जान लो  संतान  के  लिए
पिता सांसों की नब्ज है।।


 


जन्म दाता  पिता  संतान के
लिए दुःख भी सहता है।


गम सीने में दफन कर के भी
उफ  नहीं    कहता  है।।


पितृ   ऋण  से   संतान  कभी
मुक्त हो  नहीं   सकती।


वही होता सफल सर पर हाथ
जब पिता का रहता है।।


*रचयिता।।।।एस के कपूर श्री*
*हंस।।।।।।।बरेली।।।।।।।।।।।*
मोब  9897071046।।।।।।।।।
8218685464।।।।।।।।।।।।।।


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