*न जाने कौन सी राह चल रहे।*
*मुक्तक।*
जाने हम कहाँ से कहाँ
अब आ गये हैं।
ईर्ष्या की दौलत को हम
आज पा गये हैं।।
सोने के निवालों से अब
अरमान हो गए।
आधुनिकता में भावनायों
को ही खा गए हैं।।
*रचयिता।एस के कपूर श्री*
*हंस।बरेली।*
मो 9897071046
8218685464
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