*विविध मुक्तक।।।।।।।।*
यह मुस्कान
जीत सकते हम
पूरा जहान
अमन चैन
पहली जरूरत
दिन ओ रैन
जैसा है देश
अलग अलग है
वहाँ का भेष
प्रभु चरण
सबहीं कष्ट मिटें
प्रभु शरण
खंडित न हो
ये विश्वास कभी भी
जुड़े नहीं वो
स्वार्थी न बनो
आशा दीप जलाओ
सारथी बनो
ये परिवार
स्वप्नों की दीपमाला
बसता प्यार
हो मन चंगा
ह्रदय शीतल सा
कठौती गंगा
*रचयिता।।एस के कपूर*
*श्री हंस।।।।।।।बरेली।।*
मो 9897071046
8218685464
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