"देर से ही सही"
""""''"""""""""""""'""""
देर से ही सही .....
हर किसी के हिस्से में कुछ ना कुछ आएगा
किसी को ज्यादा ..
तो किसी को कम
देखना यह है की पहले किसको हिस्से में क्या आएगा
किसी की आँगन में खुशियों की सौगात आएगा
...................तो...............
किसी की आँगन में मातम छाएगा
यही जिंदगी कि सार है
किसी को कुछ दे जाऐगा
या किसी से कुछ ले जाऐगा
ऐसा नही की इंसान एक ही सिरे पर खड़ा रहेगा
कभी नीचे तो कभी ऊपर रहेगा
ये दुनिया एक विशाल रँग मंच है
यहाँ हर व्यक्ति अपनी किरदार में व्यस्त हैं
कोई नायक बन कर दुःखी है
....................तो.............
कोई खलनायक बन कर खुश है
अगर देखना है असल जिंदगी को
तो जाकर देखो किसी गरीब को
वो भूखे नंगे रहते हैं
कभी भर पेट तो कभी खाली पेट सोते हैं
इस आस में.....
की आज नही तो कल मेरे भी हिस्से में कुछ ना कुछ आएगा
कभी ना कभी मेरी भी तकदीर बदलेगा
आज नही तो कल मैं वक़्त को बदलूंगा
फिर से नई जीवन मैं गढूंगा
यही जिंदगी की यथार्थ है
यही प्रकृति की नियम है
कोई मिलकर बिछड़ता जाता है
कोई बिछड़ कर मिल जाता है
देर से ही सही
हर किसी के हिस्से में कुछ ना कुछ आता है ।।
गनेश रॉय "रावण"
भगवानपाली,मस्तूरी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
9772727002
©®
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें