शोक गीत - पुलवामा शहीदों को श्रद्धांजलि
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कैसे कहूँ व्यथा वीरों की शब्द नहीं अनुकूल ।
घात लगा दुश्मन ने मारा घुसा वक्ष में शूल ।।
दो कुंतल बारूद भरा था ऐसा था विस्फोट ,
भारत माता के सीने पर इतनी गहरी चोट ,
बोटी बोटी बिखर गए हैं अस्थि कलश के फूल ।
कैसे कहूँ व्यथा वीरों की शब्द नहीं अनुकूल ।।1
देश की खातिर वीर हमारे गए निशानी छोड़ ,
थमा गए इक प्रश्न देश को जीवन बंधन तोड़ ,
नींद उड़ा दो अब दुश्मन की हिले पाक की मूल ।
कैसे कहूँ व्यथा वीरों की शब्द नहीं अनुकूल ।।2
सच्चे श्रद्धा सुमन मांगते मेरे वीर जवान ,
ऐसा हो प्रहार करारा बने पाक शमशान ,
शोणित नदियां बहे पाक में बैरी फांके धूल ।
कैसे कहूँ व्यथा वीरों शब्द नहीं अनुकूल ।।3
केशर घाटी सुलग रही है बीते सत्तर साल ,
भारत माता ने खोये है अपने लाखों लाल ,
अब बारी बदला लेने की "हलधर"करों न भूल ।
कैसे कहूँ व्यथा वीरों की शब्द नहीं अनुकूल ।।4
हलधर -9897346173
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