दर्द किसानों का जो सह ले वो ही इक इंसान है l
धूप में तपते हैं जो दिनभर वो अपना सम्मान हैं l
वो जय जय जय जवान है,वो जय जय जय किसान है l
बंजर भूमि को बच्चों कि तरहा पाला करते हैं l
भूमि को अपनी मां कहते और उसको संभाला करते हैं l देश चलाने वाले क्या देश चलाने लायक हैं l
देश चलाने वाला देखो केवल एक किसान है l
वो जय जय जय जवान है,वो जय जय जय किसान है l
अधिकाधिक बेटे फ़ौज में हैं हाँ अपने इन्हीं किसानो के l मिट्टी कि सेवा कि ख़ातिर हाँ फूंक दिए अरमानों को l लेकिन परवाह नहीं उनकी न कोई पहचान है l
कहने को वो हैं किसान पर भारत के दिनमान हैं l
वो जय जय जय जवान है,वो जय जय जय किसान है l
लगा जी. एस. टी. से कुछ होगा उसमें भी वो ठगे गये l अपनों के संग रहे मगर वो अभिमन्यु सा फसे रहे l किसान योजना चलती हैं कितनी उनको मिल पाती हैं l माना कि क़र माफ़ किया उनका तो क्या कोई
अहसान है l
वो जय जय जय जवान है,वो जय जय जय किसान है l
हरिओम "भारतीय"
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