जनार्दन शर्मा (आशु कवि,हास्य व्यंग)

जनार्दन शर्मा (आशुकवि हास्य व्यंग)
इन्दौर मध्य प्रदेश 


वैलेंटाइनडे कोई त्यौहार नहीं है यह तोबड़े स्तर का सुनियोजित बिजनेस इवेंटहै यह इज्जतदार लडकियों के विरुद्ध षड्यंत्र है ।


"वेलेंटाइनडे पर एक कविता"


अंग्रेजो के चौचलो को सीखकर,अपने ही देश का ह्रास किया। 
आज कि युवा पीढ़ी ने,संस्कारों का कैसा विनास किया।
हे वेलेंटाइन डे बाबा मेरे देस का कैसा सत्यानास किया,,,,,,,


गली,गली,चौराहे चौराहे,अब ,प्रेम के परवान चढ़ते हैं।
आशीको के जोड़े देखो,खुले आम सड़को पे नचते है
शर्म हया सब छोड़ के देखो, रिश्तो का उपहास किया।
हे वेलेंटाइन डे बाबा मेरे देस का कैसा सत्यानास किया,,,,,


प्रेम कि दुकानो से देखो,कैसा बाजारसजता है।
प्रेम,प्यार का ये धंधा,सबकि जेबे भरता है।
झुठे प्यार के बंधनो का,कैसा ये आभास दिया,,,,,, 
हे वेलेंटाइन डे बाबा देस का सत्यानास किया


जिस देश में आज भी नारी को,देवी सा पूजा जाता हैं।
हर मां के आंचल से निकल के,सैनिक सीमा पे जाता है।
उनके बलिदान से नही सीखा कुछ, भूला कर प्रेम का एसा रास किया
हे वेलेंटाइन बाबा मेरे देस का कैसा सत्यानास किया,,,,,,,


जिस देश में राधाकृष्ण के प्रेमगीत,आज भी गाये जाते हैं।
मीराबाई के त्याग के,पद आज भी सुनाये जाते हैं।
उसी देश के नौजवानो ने,अब ये कैसा इतिहास दिया ।
हे वेलेंटाइन के बाबा मेरे देस का कैसा सत्या नास किया,,,,


जिस देश में नर,नारी के मिलन में,गहरे परिवारों का वास था
जिन आपसी रिश्तो में मिठास जीवनभर, साथ रहने का विश्वास था
उन रिश्तो को भूलाकर,"ब्रेकअप"से हलके शब्दो का अहसास दिया।
हे वेलेंटाइन बाबा मेरे देस का कैसा सत्यानास किया,,,,,
स्वरचित
जनार्दन शर्मा (आशु कवि,हास्य व्यंग)


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