ग़ज़ल ( हिंदी)
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पूरा हुआ अज़ाब चलो लौट घर चलें ।
कानून का दबाव चलो लौट घर चलें ।
साकी न है शराब चलो लौट घर चलें ।
सोचो नहीं जनाब चलो लौट घर चलें ।
है मयकदा भी दूर अभी काम क्या करें ,
पढ़ने चलें किताब चलो लौट घर चलें ।
बेकार भटकने से कोई लाभ ही नहीं ,
खाएं रखा पुलाब चलो लौट घर चलें ।
हटती नहीं जमात क्यों शाहीन बाग से ,
मुंह पर चढ़े नक़ाब चलो लौट घर चलें ।
माने जिसे रकात वही माल पाक का ,
खुलने लगा हिजाब चलो लौट घर चलें ।
जो काम है खुदा का बशर हाथ में न लें,
कांटे नहीं गुलाब चलो लौट घर चलें ।
"हलधर" कसा रकाब ज़रा ध्यान से चढ़ो ,
मौसम हुआ खराब चलो लौट घर चलें ।।
हलधर- 9897346173
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