जया मोहन प्रयागराज

श्रद्धांजलि
आज तिरंगा फिर खून से नहा रहा है
आतंकियों के हाथों जवान मौत पा रहा है
लोग मन रहे मोहब्बत का दिवस
कितने परिवारों के दिन हो गए तमस
हमे सुकून की नींद सुलाने को
वतन का रखवाला लुटा जा रहा है
आज।।।
मन मे दुख की ज्वाला धधक रही है
वीर सपूतों की शहादत का बदला मांग रही है
बहुत हुई शांति अम्न की बाते
अब सहन शक्ति का दामन छूटा जा रहा है
आज।।।
उठाओ हथियार काटो इन सियारो को
खोजो अपने आस पास छिपे हुए गद्दारो को
देश तुमसे शहीदों का हिसाब मांग रहा है
आज।।
उठो जागो आपस की द्वेष भावना जाओ भूल
देश की रक्षा करने में हो जाओ मशगूल
शपथ खाओ काट दोगे ऐसे हाथो को
जो आतंकी गद्दारो को संवार रहा है
आज।।।
ऐसी माता पिता के चरणों मे शीश झुक जाते है
जिनके बेटे हमारे लिए जान गंवाते है
आंखों से झर झर आँशु बहते
वाणी थम जाती है
क्या देश केवल इनकी ही थाती है
अंतरात्मा से कर्तव्य बोध ललकार रहा है
आज तिरंगा


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...