श्रद्धांजलि
आज तिरंगा फिर खून से नहा रहा है
आतंकियों के हाथों जवान मौत पा रहा है
लोग मन रहे मोहब्बत का दिवस
कितने परिवारों के दिन हो गए तमस
हमे सुकून की नींद सुलाने को
वतन का रखवाला लुटा जा रहा है
आज।।।
मन मे दुख की ज्वाला धधक रही है
वीर सपूतों की शहादत का बदला मांग रही है
बहुत हुई शांति अम्न की बाते
अब सहन शक्ति का दामन छूटा जा रहा है
आज।।।
उठाओ हथियार काटो इन सियारो को
खोजो अपने आस पास छिपे हुए गद्दारो को
देश तुमसे शहीदों का हिसाब मांग रहा है
आज।।
उठो जागो आपस की द्वेष भावना जाओ भूल
देश की रक्षा करने में हो जाओ मशगूल
शपथ खाओ काट दोगे ऐसे हाथो को
जो आतंकी गद्दारो को संवार रहा है
आज।।।
ऐसी माता पिता के चरणों मे शीश झुक जाते है
जिनके बेटे हमारे लिए जान गंवाते है
आंखों से झर झर आँशु बहते
वाणी थम जाती है
क्या देश केवल इनकी ही थाती है
अंतरात्मा से कर्तव्य बोध ललकार रहा है
आज तिरंगा
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
जया मोहन प्रयागराज
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