शीर्षक:--ऐ जिंदगानी...
ऐ सुनो ओ मेरी जिंदगानी,
भूल जाओ अब वो बातें पुरानी।
करेंगे मोहब्बत हम बेपनाह,
लिखेंगे अपनी एक नई कहानी।
ना सोचो क्या हुआ था कल,
अब तू मेरे साथ साथ चल।
मिलकर चलेंगे हम दोनों,
तब उत्पन्न होगा आत्मबल।
तूने क्यो नही बताये अपने राज,
क्यो रखी तूने अनसुनी आवाज ।
कंटको सी चिड़िया चहकती रहती हैं,
हम बनेंगे कांटो में गुलाब जैसे बाज।
मैंने तो तुझे बहुत प्यार किया,
ना तूने मुझे अपना दीदार दिया।
ख्वाबों में ही मिलता हूँ मै रोज,
क्यों तूने मुझे ऐसा सिला दिया।
आ अब जल्दी तू लौटकर आजा,
अब मैं ना जागता हूँ ना सोता हूँ।
ऐ दीवानी तू मेरी भी अब कुछ सोच,
मैं तेरी यादों में दिन और रात रोता हूँ।
जयप्रकाश चौहान * अजनबी*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें