जयप्रकाश चौहान * अजनबी*

*ये कलाम... पुलवामा शहीदों के नाम*


हमारी रक्षा में गुजरती हैं जिनकी सुबह-शाम,
*अजनबी *का आज का दिन उनके नाम।
आज के दिन पुलवामा में हुए शहीदों को,
मेरा शत -शत  नमन और कोटिश प्रणाम।


गैर ने नहीं किसी अपनो ने ही किया था ये काम ,
आखिर क्यों दिया उन्होंने इस हमले को अंजाम।
वो क्यो भूल जाते हैं आज़ाद, भगतसिंह के नाम,
जिन्होंने हँसते हँसते कर दी अपनी जान कुर्बान।


जो करते हैं सच्ची सेवा अपने वतन की,
वो नहीं करते परवाह तन,मन और धन की।
छोड़ जाते हैं आशियाना परिवार का अधूरा,
इज्जत रखना सदा उनके पत्नी,बेटी,पुत्र रत्न की।


उन वीरो की याद में मनाओ वेलेंटाइन,
रूह व तबीयत भी हो जाएगी आपकी फाइन।
मत करो जाति-पाति,ऊँच-नीच,धर्म का ड्रामा,
उनसे खत्म हो जायेगी आतंकी, घुसपैठ की ड़ाइन।


हे पुलवामा के शहीदो आपको सलाम मेरा,
आज आपके ही नाम है ये कलाम मेरा।
हमेशा ही ये तिरंगा झंडा ऊँचा रहे हमारा,
हे भारत  माता लेना  ये पैगाम मेरा ।


जयप्रकाश चौहान * अजनबी*


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