पुलवामा हमले पर लिखी तत्कालीन रचना
*"पुलवामा न भुलाना है"*
(ताटंक छंद गीत)
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विधान-१६+१४=३०मात्रा प्रतिपद, पदांत SSS, दो दो पद तुकबंदी।
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*सन् उन्नीस चौदह फरवरी,
"पुलवामा न भुलाना है" ।
नापाक पाक की करनी का,
सच जग को दिखलाना है।।
*शेरों को श्वानों ने काटा,
बदला हमें चुकाना है।
छल से छलनी करते हैं जो,
नर्क उन्हें पहुँचाना है।।
शहीद चवालीस के बदले,
पापी सहस गिराना है।
नापाक...................।।
*छल से उछल रहे छलियों को,
नाकों चने चबाना है।
पाक कहीं फिर डंक न मारे,
उसको धूल चटाना है।।
झंडा गाड़ पाक में उसके,
साहस आज दिखाना है।
नापाक...................।।
*छुपे हुए गद्दार देश में,
उनको मार भगाना है।
आस्तीन पले साँपों का भी,
हर फन कुचला जाना है।।
भूत लात का बात न माने,
इनको सबक सिखाना है।
नापाक....................।।
*माँ-ममता सिंदूर मांग का,
राखी को न भुलाना है।
बना बहाने कब तक कितने,
बच्चों को बहलाना है??
खुशियों में जो आग लगाते,
उनको आज जलाना है।
नापाक..................।।
*जैसा को तैसा ही देंगे,
और न धोखा खाना है।
चुन चुनकर पापों के अड्डे,
भेज मिराज उड़ाना है।।
अब आतंकी आकाओं को,
गिन गिन मार गिराना है।
नापाक..................।।
*हे भारत के वीरों जागो,
ऋण देश का चुकाना है।
बजा गगनभेदी रणभेरी,
पौरुष निज दिखलाना है।।
अब तो आतंकी शोणित से,
धरती को नहलाना है।
नापाक...................।।
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भरत नायक "बाबूजी"
लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)
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