कालिका प्रसाद सेमवाल

हे मां जगदम्बा
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 हे मां जगदम्बा
जिसका मन शिशु जैसा
तुम करती हो रखवाली
तेरे चरणों शीश झुकाओ
मिट जायेगा जन्मों का फेरा।


हे मां जगदम्बा
भक्तों की तुम करती रक्षा
सबके कष्टों को तुम हरती
द्वार तुम्हारे आया हूं
मेरे नैया पार लगा दो।


हे मां जगदम्बा
तुम हो घट-घट वासी
ममता की मूरत तुम हो
तुम ही हो पर्वत वासी
शरण तुम्हारे आया हूं
हे मां जगदम्बा।।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
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