कालिका प्रसाद सेमवाल        मानस सदन अपर बाजार        रूद्रप्रयाग(उत्तराखंड)

मधुर स्मृति
*********
      आज मैं तुम्हें न पा सका,
      इसलिए न गीत गा सका।
बहार फूल तो खिले मगर,
मिले उसे भ्रमर न हो‌ अगर,
तो आश क्या कि फूल की उमर,
हंसे नियति हिलोर में लहर।


        जोहता रहा तुम्हे सदा,
         उठी कसक न मैं भगा सका।


लगी आज टकटकी  उधर,
चली गई थी रूठकर जिधर
हुआ हताश आज मैं मगर,
रहे न याद प्यार के प्रहर,


      ‌ रही सदा सुदूर प्राण, तुम
       इसीलिए तुम्हें न पा सका।


पी रही हैं जिन्दगी जहर,
घिर रही है वेदना घहर,
कट रही है व्यर्थ ही उमर,
निराश दीप जल रहा लहर,


       कुविघ्न पर कुविघ्न झेलता,
       पुकारता तुम्हें न पा सका।।
****************************
      कालिका प्रसाद सेमवाल
       मानस सदन अपर बाजार
       रूद्रप्रयाग(उत्तराखंड)
        पिन 246171


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...